Uttarakhand
देहरादून – समान नागरिक संहिता (UCC ) लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है । पुष्कर सिंह धामी सरकार ने UCC को आज से प्रदेश भर में लागू करने का ऐलान किया । इस दौरान यूसीसी कमेटी के सदस्य और सभी कैबिनेट मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।
बता दें कि बीजेपी की ओर से साल 2022 के चुनाव में उत्तराखंड की जनता से यह वादा किया गया था कि प्रदेश में UCC लागू किया जाएगा।ऐसे में ये प्रमुख वादा आज पूरा कर दिया गया है ।
यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना
– ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित
– कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित
– क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए ज़िलों में नोडल अधिकारी नामित
– सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित
– विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त
– नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video एवं Booklets
यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु
अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू।
बहु विवाह पूर्ण तरीके से बैन होगा।
केवल एक शादी मान्य होगी, उसका रजिस्ट्रेशन करना होगा।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को अपनी पूरी जानकारी देनी होगी।
उत्तराधिकार में लड़कियों को भी लड़कों की तरह अधिकार मिलेगा।
बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण होगा
मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा।
मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी
शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
शादीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुहावरे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी होगी।
पति की मौत पर पत्नी पुनः विवाह करती है तो मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा
पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पेरेंट्स को दी जा सकती है।
समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और को प्रथाओं पर रोक लगेगी।
बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा यूसीसी से हो सकेगी ।
वहीं बता दें कि यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।
रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य
– यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।
रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे।
सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना
समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।
विवाह पंजीकरण
26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा ।संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा
आवेदकों के अधिकार
यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।
रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।
अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।
(लिव इन)
संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा।
यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।
विवाह विच्छेद –
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।
वसीयत आधारित उत्तराधिकार
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए।
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यूसीसी लागू होने तक की पूरी यात्रा का विवरण
27 मई 2022 – यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन
02 फरवरी 2024 – यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत
08 फरवरी 2024 – राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित
08 मार्च 2024 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित
12 मार्च 2024 – यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी
18 अक्टूबर 2024 – यूसीसी नियमावली प्रस्तुत
27 जनवरी 2025 – यूसीसी लागू ।